Monday, February 3, 2014

॥ मेरा दोस्त ......मैं कुछ भी नहीं तुम सबसे खास हो ॥

मान लिखू सम्मान लिखू,
      या भगवान लिखू,
जो भी लिखू अ दोस्त,
      सबसे पहले तुझे अपनी जान लिखू ॥

तुम मेरा विश्वास हो दिल के पास हो,
मैं कुछ भी नहीं तुम सबसे खास हो ॥

सबसे पहले तुम्हारा नाम आता है,
शायद पिछले जन्मो का नाता है,
रब ने तुमसे मिलाया है,
      ज़िंदगी जीना सिखाया है,
तुम मेरी हकीकत हो मेरा विश्वाश हो,
मेरा जुनून हो मेरी धड़कन मेरी शांश हो ॥

मैं कुछ भी नहीं तुम सबसे खास हो ॥

वो वक़्त मैं कैसे भुला दु,
ऐसे जीना जाने किस-किस को सीखा दु,
तुम्हारी हर आदत दीवाना बनाती है मुझे,
जब भी मायूष होता हु जीना सिखाती है मुझे,
ज़िंदगी खफा है रहे,
      बस अब तुम ही जीने का अंदाज हो ॥

मैं कुछ भी नहीं तुम सबसे खास हो ॥

धोके तुमने भी खाये है मैंने भी,
आँसू तुमने भी बहाये है मैंने भी,
बदल देंगे तकदीर को,
      तोड़ देंगे हर कच्ची तस्वीर को,
अब रोना नहीं हमे खुल के जीना है,
ये भी दोस्त एक जीने का आगाज हो ॥

मैं कुछ भी नहीं तुम सबसे खास हो ॥

तुमने भी अपनी दोस्ती खूब निभाई है,
मेरी ज़िंदगी मे अपनी कलम चलाई है,
गर्द लिख रहा था हर वक्त मैं,
फिर सुनहरे शब्दो की क्या झड़ी लगाई है,
अब जीस्त के हर पन्ने मे तुम बदहवाश हो ॥

मैं कुछ भी नहीं तुम सबसे खास हो ॥

तेरे बिना जीना बेमानी है,
अगर तुम न हो तो ज़िंदगी सिर्फ जलानी है,
तेरे लिए हर वक़्त दिल जलता है,
हर वक्त तुमसे उलझने को दिल करता है,
के बस अब तुम हो तो मैं हूँ,
      वरना ज़िंदगी बर्बाद हो ॥

मैं कुछ भी नहीं तुम सबसे खास हो ॥

तुम वो अहसाह हो जो कभी मिटता नहीं,
तुम वो पर्वत हो जो कभी झुकता नहीं,
कोई क्या कीमत बताएगा तुम्हारी,
तुम वो मोती हो जो कभी बिकता नही,
के तुम हर दर्द मे मेरा मुक्क्दर हो
                     मेरे पास हो ॥

मैं कुछ भी नहीं तुम सबसे खास हो ॥

सच्चा दोस्त है मेरा आजमा के देखे कोई,
करे यकीन उसपे पास आके देखे कोई,
ये वो सोना जो रंग बदलता नही कभी,
जितना चाहो आग मे जला के देखे कोई,
बस अब नम है आंखे साँसे है मध्यम,
नम आंखो से लिखते-२ “महेश”
मेरा दोस्त, भाई ” मेरे पास हो ॥  

तुम मेरा विश्वास हो दिल के पास हो,
मैं कुछ भी नहीं तुम सबसे खास हो ॥


3 comments:

  1. बहुत लाजवाब शब्द दोस्ती की खातिर .. अच्छी रचना है ...

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  2. Mene sone ko b rang badlate dekha
    heero ko b koyla hota dekhaa
    tu guman na kar apni dosti ka
    Aazmaisho ko b zhuta sabit hote dekha...

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