कहा गया मेरा चरखा, कहाँ गयी मेरी खादी,
राजघाट का बापू उठके पूछे,
कहाँ गयी आजादी ॥
अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना
हो गया क्यो भारी,
पहले गोरे अंग्रेज़ो का शासन था
अब फैल रही काले अंग्रेज़ो की
महामारी ||
कहाँ गया.............
कुछ सत्ता के अधिकारी, गठबंधन को बता रहे मजबूरी,
क्यो सर्मसार कर रहे हिन्द को
ये कैसी है लाचारी,
मजबूरी जो गठबंधन को बताए,
वो देश छोड़ भाग जाये,
ना करे देश की यू बरबादी॥
कहाँ गया.............
सत्ता की अब सीढ़ी सच्ची,
एक संत को “ठग” बताते है,
कुछ बहरूपिये मेरे हिन्द मे
तमाशा रोज दिखाते है,
खुद कुआं खोदते फिर खुद उसमे
गिर जाते है,
काली माया जोड़-जोड़ कर विदेशो
मे भिजवाते है,
सोई जनता जाग गयी अब किसको
मूर्ख बनाते,
“महेश” हिम्मत है तो खोल बताए,
पूछे सवा करोड़ आबादी ||
कहा गया मेरा चरखा, कहाँ गयी मेरी खादी,
राजघाट का बापू उठके पूछे,
कहाँ गयी आजादी ॥
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