Friday, August 19, 2011

जागो वतन के लोगो भारत माँ नीलाम न हो


फटेहाल जिन्दगी अब ठोर ढूंडती है,
उमीदों के उजाले लेकर एक भोर ढूंडती है,
इन आँखों के उजालो को कोई तो अंगार बनाओ यारो ॥

समेट लो दामन में अपने दर्द,
बुजदिली में जीने से अच्छा है मरो बन के मर्द,
अब पानी के जगह आँखों से खून बहाओ यारो ॥

बहुत सुन लिया संगीत,
बहुत गा चुके फिल्मो के गीत,
अब इस घायल हिन्दुस्तान पे भी कोई गीत बनाओ यारो ॥

जागो वतन के लोगो भारत माँ नीलाम न हो,
इतिहास के पन्नो में देशभक्ति बदनाम न हो,
अपनी छाती पर "महेश" इन्कलाब लिखवाने को तयार रहो,
फिर से भक्तसिंह की फांसी दोहराने को तैयार रहो,
फिर से उधम सिंह बन गलियों में आओ यारो ॥

ये तस्वीर कपटी नेताओ को दिखाओ यारो,
इस घायल हिन्दुस्तान को फिर आजादी दिलाओ यारो,
अपने जिस्म में खून को तब तक ठंडा न होने दो,
जब तक जीत न जाओ यारो ॥