॥ अनकहे अल्फ़ाज़ ॥
Wednesday, July 28, 2010
प्यालो में मधुशाला
कभी दिल रंगी बहारो में,
कभी दिल रंगी पुहारो में,
कभी बहते पानी की कल कल से,
कभी गिरते झरनों की छल छल से,
कभी र्रून झुन -२ करती प्यालो में मधुशाला,
फिर वक़्त नहीं अब अपने आपको समझाने का,
के आज खूब झूमी है मदमस्त हाला..................
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