Monday, July 26, 2010

मेरी कविता की दर्द भरी कहानी

मेरी कविता की दर्द भरी कहानी!
मेरे दर्द में लिपटे मेरे शब्दों की जुबानी!!

कभी बचपन की अटखेलियाँ, कभी एक पल की जवानी,
कभी मध्यम होती साँसों की चुभन, कभी बुढ़ापे की निशानी,
कभी यादों का गहरा साया, फिर कभी अंधरे में अपने आपको पाया,
कभी करता मैय्खानो की सवारी, कभी फिर से रात अँधियारी
कभी मंदिर मस्जिद सिवाले जाना, फिर यह देख सबको होती हैरानी,

मेरे दर्द में लिपटी मेरे शब्दों की जुबानी,
मेरी कविता की दर्द भरी कहानी ॥

कभी झूट कभी सच, कभी अपने आपको दिया उसमे रच,
कभी बारिस की बूंदे और वो बूंदों की महक,
कभी मेरे यार का मिलना, और उसकी बातें रूहानी,
यही है मेरी कविता यही मेरी कहानी ॥

मेरी कविता की दर्द भरी कहानी ,
मेरे दर्द में लिपटे मेरे शब्दों की जुबानी ॥

कुछ सतब्ध कुछ निसब्द,
की जैसे बादलो में लिपटी, कुछ अनसुनी कुछ अनकही
हवाओ की तरह तेज, लताओं की तरह चंचल,
मेरे विस्वास में लिपटी, मेरी खामोस मधोस निशानी ॥

मेरी कविता की दर्द भरी कहानी ,
मेरे दर्द में लिपटे मेरे शब्दों की जुबानी ॥ 

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